520 करोड़ रूपये से अधिक घाटे से खस्ताहाल हो चुका उत्तराखंड रोडवेज ,परिवहन मंत्री ने नहीं ली सुध

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परिवहन मंत्री ने निगम की दशा को सुधारने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाने में कायमयाब नहीं रहे। परिवहन मंत्री ने केवल प्रबंध निदेशकों को बदलने की योजना बनाई । चार एमडी ंएक साल भी अपनी कुर्सी पर नहीं बैठ पाए ,अगर किसी को विभाग का मुखिया बनाया जाता है तो उसे विभाग के क्रिया-कलापों की गतिविधियां जानने में एक साल लग जाता है जैसे ही वह कार्य योजना बनाते है उसे हटा दिया जाता है। परिवहन मंत्री को निगम की कार्य योजना से कोई लेना देना नहीं ।
सूत्रों के हवाले ज्ञात हुआ कि जो एमडी अगर परिवहन मंत्री के मन की नहीं करते उन्हें एमडी की कुर्सी से हटा देते है । मंत्री के इस मनमाने ढंग से ही आज परिवहन निगम 520 करोड़ से ज्यादा घाटे में चल रही है। इसे घाटे से उबारने के लिए परिवहन मंत्री ने कभी विचार विर्मश नहीं किया ।

देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम करीब 520 करोड़ रुपए के घाटे में सफर कर रहा है। यह सफर कभी भी रास्ते में और पूरी तरह से परिवहन मंत्री एक-दो माह में ही इसका मुखिया यानी प्रबंध निदेशक बदल दे रही।निगम को संभालने में सरका की कोई दिलचस्पी नहीं है।
बीते ढाई साल में पांच बार प्रबंध निदेशक बदल दिए गए। एक अफसर जब तक महकमें की कार्यप्रणाली समझे, उससे पहले ही उसकी कुर्सी छीन ली जा रही। अब नए प्रबंध निदेशक डॉ नीरज खैरवाल इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। मौजूदा प्रबंध निदेशक अभिषेक रुहेला को सरकार ने एक माह में ही इस पद से विदा कर दिया।
रोडवेज के प्रबंध निदेशक की कुर्सी बीते ढाई साल से बेहद कम समय के लिए किसी अधिकारी के पास टिक रही। इससे पूर्व कि अधिकारी निगम की गतिविधियों को समझें, उनका तबादला हो जा रहा। वर्ष 2019 की 18 फरवरी को सरकार ने आइएएस आर राजेश कुमार को निगम का प्रबंध निदेशक बनाया व पांच माह बाद चार जुलाई को उन्हें यहां से हटा दिया। उनके बाद आइएएस रणवीर सिंह चौहान को प्रबंध निदेशक की कमान सौंपी दी। चौहान 21 माह यहां रहे व छह अप्रैल 2021 को सरकार ने चौहान को हटाकर आइएएस आशीष चौहान को यहां तैनाती दी।चौहान सवा दो माह इस पद पर रहे। बीती 18 जून को सरकार ने उन्हें इस पद से हटाकर आइएएस अभिषेक रूहेला को प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन रुहेला एक माह में ही इस पद से रुखसत कर दिए गए। अब आइएएस नीरज खैरवाल को रोडवेज का नया मुखिया बनाया गया है। चूंकि, मौजूदा परिस्थितियों में रोडवेज का संचालन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, लिहाजा नए मुखिया के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
कर्मचारी संगठन तो मान रहे कि सरकार की इस तरह की नितियां ठीक नहीं है की बार-बार प्रबंध निदेशक बदले । उनका कहना है कि एक अधिकारी को कम से कम दो साल तक तो इस पद पर लगातार तैनात रखा जाए, ताकि को विभागीय गतिविधियों को समझकर उचित हल तलाश सके।

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