वन दरोगा भर्ती धांधली की जांच अधर में लटकी
देहरादून। सितम्बर 2022 में उत्तराखंड में अभी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार को लेकर बवाल चरम पर है, इस बीच वन दरोगा भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े सामने आ गया है, जिसको लेकर हंगामा मच गया है. नकल माफियाओं के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के तहत ऑनलाइन वन दरोगा भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े के संबंध में रविवार को मुकदमा दर्ज किया है. एक साल पहले हुई भर्ती परीक्षा की प्राथमिक जांच में धांधली की पुष्टि होने पर विशेष जांच बल (एसटीएफ) ने मुकदमा दर्ज किया है. दरअसल, पिछले साल 16 से 25 सितंबर के बीच 18 पालियों में वन दरोगा के कुल 316 रिक्त पदों के लिए परीक्षा आयोजित हुई थी.
प्राथमिक जांच में परीक्षा एजेंसी ‘मैसर्स एनएसईआईटी’ की संलिप्तता के साक्ष्य भी सामने आए हैं, जबकि ऐसी भी कुछ अन्य निजी संस्थाओं को भी चिह्नित की गईं हैं. इस ऑनलाइन नकल माफिया गिरोह में हरिद्वार देहात, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लोगों के शामिल होने के संकेत मिले हैं.
देहरादून से जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भर्ती परीक्षा में जांच कराने के संबंध में मिले निर्देश के बाद प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने एसटीएफ को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी.मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार को ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति से कोई समझौता न करने की बात दोहराते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में कोई भी अनियमितता पाए जाने पर इनमें संलिप्त लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.
सीएम धामी ने कहा, कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा और साथ ही अपने प्रदेश के ईमानदार और परिश्रमी युवाओं के साथ हमारी सरकार अन्याय नहीं होने देगी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले साल 16 से 25 सितंबर के बीच 18 पालियों में वन दरोगा के कुल 316 रिक्त पदों के लिए परीक्षा आयोजित हुई थी. एसटीएफ तथा साइबर जांच के बाद इसमें अनियमितता और कुछ छात्रों द्वारा अनुचित साधनों का प्रयोग करने की पुष्टि हुई है.
मामले में देहरादून के साइबर थाने में आईपीसी की धारा 420 और 120 बी, 66 सूचना प्रौद्योगिकी कानून और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा नकल निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया .एसटीएफ ने प्रकरण में प्राथमिक रूप से कुछ छात्रों को चिह्नित भी कर लिया है और इसमें सम्मिलित कुछ नकल माफियाओं को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ भी चल रही है.
प्राथमिक जांच में परीक्षा को संपन्न कराने वाली एजेंसी ‘मैसर्स एनएसईआईटी’ की संलिप्तता के साक्ष्य भी प्रकाश में आए हैं, जबकि ऐसी भी कुछ अन्य निजी संस्थाओं को भी चिह्नित किया गया है.इस ऑनलाइन नकल माफिया गिरोह में हरिद्वार देहात, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लोगों के शामिल होने के संकेत मिले हैं. इनमें परीक्षा कराने वाली एजेंसी के कुछ लोग, निजी संस्थाओं के लोग, कक्ष निरीक्षक तथा परीक्षा से जुड़े अन्य लोग संदेह के दायरे में हैं.
बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा की जांच भी एसटीएफ कर रही है और इसमें अब तक 34 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.