खड़िया खनन से तबाही का मंजर भुगतने को तैयार रहे ग्रामीण

बागेश्वर जिले के कांडा व दफोट में खड़िया खनन क्षेत्रों में बारिश से गड्ढे भर गए हैं जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। पिछले साल गड्ढे फटने से तबाही हुई थी। खनन बंद है पर गड्ढों में पानी भरने से ग्रामीण चिंतित हैं। खनन कार्य हाई कोर्ट के आदेश के बाद से लगभग तीन माह से बंद है।खड़िया निकलने के बाद बने गहरे गड्ढे वारिश शुरू होने वाली है,जिसे पानी से गड्डे भर जायेगें अगर ये पानी से भरे गड्डे फटने शुरू होगें तो तबाही से कोई नहीं रोक सकता है। जिसका जिम्मेदार कौन होगा
बागेश्वर । मानसून से पूर्व ही जिले में लगातार वर्षा हो रही है। खड़िया खदान क्षेत्रों में खनन के बाद बने गड्ढे पानी से भरने लगे हैं। जिससे भूस्खलन का भय बना हुआ है। वर्षा में एक साथ गड्ढों के रिसाव होने से निचले क्षेत्र के गांवों में आपदा का खतरा भी मंडरा रहा है।
पिछले वर्ष खदान क्षेत्र में बने ताल के फटने से मंदिर, सड़क व पेयजल लाइनें ध्वस्त हो गई थी। जबकि खनन कार्य हाई कोर्ट के आदेश के बाद से लगभग तीन माह से बंद है। मशीनें भी जिला प्रशासन ने सीज की हैं।
दुगनाकुरी तहसील के खड़िया खनन क्षेत्र में खनन कार्य बंद है। पहले से खोदे गए गड्ढों में पानी भर गया है। यहां यदि कोई बच्चा भूल से चला गया तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। पूर्व में भी गड्ढों में भरे पानी में नहाते समय घटनाएं हुईं हैं। स्थानीय निवासी दिनेश सिंह ने बताया कि खनन के बाद छोड़े गए गड्ढों मे जलभराव हो रहा है। भूस्खलन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। मानसून सक्रिय होगा। जिसके बाद दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वहां प्रशासन ने खनन में प्रयुक्त होने वाली मशीनें सीज की हैं। उन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
एक वर्ष पूर्व दुगनाकुरी तहसील के बैकोड़ी, महोली तथा आसपास के गांव में भारी वर्षा के बाद खड़िया के गड्ढे फट गए थे। यहां से बड़े-बड़े पत्थरों के आने से पेयजल योजना के पाइप पुंगर नदी में समा गए थे। पानी की तेज धारा से वहां गधेरा बन गया था। जलमानी गांव को जोड़ने वाली पैदल पुलिया भी बह गई थी। बैकोड़ी गांव में घराट बह गया था। एक गंगनाथ का मंदिर भी आपदा की भेंट चढ़ गया था
खड़िया खनन के बाद डंप मलबा भी बहकर स्थानीय गधेरे तक पहुंच गया था। जिससे बैकोड़ी, महोली, पचार तथा किड़ई गांवों में भारी मात्रा में नुकसान हुआ।
इस कार्य में भारी मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है जिससे ग्रामीणों को अपने घरों की सुरक्षा का खतरा मंडराने लगा है। जब भी बारिश होती है तो लोग सहम जाते है। जिसकी मुख्य वजह कहीं न कहीं लगातार पहाड़ी के ठीक नीचे हो रहा खनन है। जिसकी शिकायत करने पर बाची को प्रशासन ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि खनन उनके घर से बहुत दूर हो रहा है लेकिन वास्तव में कोई भी साफ तौर पर देख सकता है कि अनियंत्रित खनन के कारण पहाड़ी के बेसमेंट में बहुत ज्यादा छेड़छाड़ की गई है जिससे उनके घर के सामने की पहाड़ी पर भयानक दरारें आ गई है और पहाड़ का एक हिस्सा धीरे-धीरे खदान की ओर खिसक रहा है।
बागेश्वर के कांडा क्षेत्र मे अवैज्ञानिक तरीके से खड़िया खनन के कारण अब बरसात में ग्रामीणों के घरों को तो खतरा है ही बल्कि इस इलाके की पूरी सभ्यता पर भी खतरा मंडरा है । गांव का हजार साल पुराना बना कालिका मंदिर भी दरारों की मार झेल रहा है क्योंकि मंदिर से महज 50 मीटर की दूरी पर खड़िया खदान हुआ है और स्थानीय लोगों का दावा है कि मंदिर में भी इसी वजह से दरारें आई है।