सेंधा नमक का दिल और दिमाग पर क्या असर होता है?

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सेंधा नमक एक प्राकृतिक खनिज है, जिसे समुद्री नमक की तरह समुद्र से नहीं, बल्कि चट्टानों (खनिज खदानों) से निकाला जाता है.

यह भारत में खासतौर पर व्रत (उपवास) में इस्तेमाल होता है, क्योंकि इसे “शुद्ध” माना जाता है.नमक हिमालय क्षेत्र (भारत, नेपाल, पाकिस्तान) से मिलता है, इसलिए इसे अक्सर हिमालयन पिंक सॉल्ट भी कहा जाता है. इसका रंग सफेद से लेकर हल्का गुलाबी या नीला भी हो सकता है.इसमें सोडियम क्लोराइड के अलावा कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे खनिज भी पाए जाते हैं.

बाज़ार में सेंधा नमक को पिंक सॉल्ट, हिमालयन सॉल्ट, लाइट सॉल्ट या लो सोडियम सॉल्ट के नाम बेचा जा रहा है.यह नमक उन लोगों के लिए एक समाधान जैसा देखा जाता है जिन्हें ज़्यादा नमक खाने की आदत होती है.

हिमालय से निकाले जाने वाले इस नमक में भी तुलनात्मक रूप से सोडियम कम और मैग्नेशियम व पोटैशियम जैसे खनिज लवण ज़्यादा होते हैं.सेंधा नमक सीमित मात्रा में इस्तेमाल करने पर स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो सकता है. इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे ज़रूरी खनिज होते हैं, जो पाचन में मदद कर सकते हैं, हाइड्रेशन में सुधार कर सकते हैं और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं. “

सेंधा नमक में आयोडीन बिल्कुल भी नहीं होता है. यही इस नमक की सबसे बड़ी कमी है. आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो सकता है. इतना ही नहीं हाई ब्लड प्रेशर, वॉटर रिटेंशन और थायराइड जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यह मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करता है .”

हार्ट: इस नमक में भी सोडियम सफ़ेद नमक की तुलना में कम ज़रूर होता है लेकिन उसकी प्रचुर मात्रा होती है. ऐसे में इसे ज्यादा खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इससे दिल का दौरा पड़ने से लेकर दिल की दूसरी और बीमारियां होने का अंदेशा बढ़ जाता है.

किडनी: सेंधा नमक ज़्यादा खाने से हमारे शरीर में ज़्यादा पानी बनेगा और इससे किडनी पर दबाव भी बढ़ जाएगा. उन्हें ये पानी साफ़ करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इसे शरीर में सूजन या एडिमा की समस्या हो सकती है.

दिमाग: आयोडीन की कमी से नर्व सिग्नल सही तरीके से काम नहीं इसके कारण याददाश्त और सीखने की क्षमता कम हो जाती है.

हार्मोन : सेंधा नमक लंबे तक खाने पर टी 3 और टी 4 हार्मोन में कमी आ सकती है.

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