उत्तराखंड घोटालों में सफेदपोशों पर एक्शन कब होगा
22 साल में उत्तराखंड में हुए कई बड़े घोटाले लेकिन सफेदपोशों के कॉलर से कानून के हाथ दूर
राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में कई घोटाले हुए. एनडी तिवारी के शासनकाल में पटवारी भर्ती घोटाले से लेकर, स्टर्डिया जमीन घोटाला, आपदा किट घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला ये वे तमाम घोटाले हैं जिन पर आजतक कोई बड़ा एक्शन नहीं हुआ है. कुछ मामलों में भले ही अभी भी गिरफ्तारियां जारी हैं, मगर राज्य गठन के बाद से लेकर आज तक किसी भी मामले में किसी भी सफेदपोश के कॉलर तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाये हैं
कुूजंवाल कहते है हमने गरीब युवाओं को नौकरी दी ,भाई भतीजावाद नहींे किया जो किया नियम से किया
- बड़ा सवाल तो यह उठता है कि आखिर ऐसा हो कैसे गया. दरअसल नियुक्तियों में तब तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कई विधायक और मंत्रियों के रिश्तेदार शामिल थे जिन्हें रातों-रात महत्वपूर्ण पदों पर नौकरियां दे दी गई थीं.
- गोविन्द सिंह कुंजवाल ने गरीब बच्चों को गला घोटा ,सबसे भ्रष्ट विधान सभा अध्यक्ष , नियमों को ताक पर रखकर की गई अंधाधुंध नियुक्तियां
- तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के बेटे पंकज कुंजवाल को क्लास टू श्रेणी में विधानसभा रिपोर्टर के पद पर नियुक्ति दे दी गई. इस पद के लिए अंग्रेजी और हिंदी में शॉर्ट हैंड अनिवार्य है लेकिन, पंकज कुंजवाल को शॉर्ट हैंड आती ही नहीं है.
- कुंजवाल की बहु स्वाति कुंजवाल को भी 5400 ग्रेड पे पर उप प्रोटोकॉल अधिकारी में तदर्थ नियुक्ति दे दी गई.
- कुंजवाल के भतीजे स्वपनिल कुंजवाल को सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति दे दी गई.
- विधायक हरीश धामी के भाई खजान धामी को विधानसभा रिपोर्टर के पद पर नियुक्ति दे दी गई. खजान धामी को भी शॉर्ट हैंड का ज्ञान नहीं है.
- विधायक हरीश धामी की बहू यानि कि खजान धामी की पत्नी लक्ष्मी चिराल को भी सहायक समीक्षा अधिकारी बना दिया गया जो पद के लिए योग्यता नहीं रखती है।
- तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी की पुत्री मोनिका को भी अपर सचिव पद पर तैनाती दे दी गई.
- पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूरी के ओएसडी रहे जयदीप रावत की पत्नी सुमित्रा रावत को भी विधानसभा में नियुक्ति दे दी गई.
- अंधेरगर्दी यह रही कि इन 158 लोगों ने नौकरी के लिए सादे पेपर पर आवेदन किया और एक भी आवेदन पत्र में आवेदन करने की तिथि तक अंकित नहीं है. सवाल यह कि क्या 158 में से सभी अभ्यर्थी आवेदन पत्र में आवेदन करने की तिथि लिखना भूल गए.
- कुंजवाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष बने प्रेमचंद अग्रवाल ने इस पूरे मामले पर जांच की बात कही थी, लेकिन कुछ दिनों बाद अग्रवाल भी खामेाश हो गए. नियुक्ति अधिकारी विधानसभा सचिव कुछ भी बोलने को तैयार नहीं. ज़ाहिर है भाजपा भी इस पूरे भ्रष्टाचार में लिप्त है तभी कुंजवाल को बचाने में लगी हुई है।
यशपाल आर्य अपनी टोपी बचाने के लिए भाजपा खेमे में आकर भाजपा ने अहम् विभागों की जिम्मेदारी दी इसी दौरान अपने सभी पाप धोकर फिर कांग्रेस खेमे में शामिल हो गये अब बबाल मचा रहे है कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के घेरे में है ं प्रदेश की जनता ने मांग उठाई है कि यशपाल आर्या के कार्यकाल में बड़े घोटालों की फाईल फिर से खोली जाय ताकि वे वेनकाब हो सके ।
देहरादून उत्तराखंड में इन दिनों पेपर लीक मामला, विधानसभा बैक डोर भर्ती मामला, सचिवालय दल रक्षक भर्ती अनियमिमता मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है. भर्ती में हुई इन अनिमितताओं के कारण उत्तराखंड सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों की सुर्खियों में है. वहीं, राज्य में सरकारी नौकरियों में हुई धांधली को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हल्ला मचा हुआ है. जहां विपक्ष इन सब मामलों पर आक्रामक हैं, वहीं राज्य सरकार इसे लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है. मगर ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में इस तरह की धांधली या घोटाले की खबर पहली बार सामने आई है, इससे पहले भी कई विभागों में भी इस तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं।
मौजूदा समय में फॉरेस्ट भर्ती, सचिवालय भर्ती, विधानसभा भर्ती, दरोगा भर्ती के साथ साथ सहकारिता पर भी सवाल उठने लगे हैं. चर्चा सबसे पहले यूकेएसएससी पेपर लीक मामले से शुरू हुई. जिसमें हाकम सिंह का नाम आने और उसकी गिरफ्तारी के बाद ये मामला पॉलिटिकल हो गया. इस मामले में जैसे-जैसे सफलता हाथ लगी वैसे ही सफेदपोशों से इसके तार जुड़ने लगे. मामले में विपक्ष आक्रामक हुआ और सीबीआई जांच की मांग उठने लगी. ये मामला अभी चल ही रहा था कि विधानसभा बैक डोर से हुई भर्तियों के मामले में धामी सरकार घिर गई. ।
हैरानी की बात ये है कि तमाम घोटालो में वो छोटे कर्मचारी तो खूब नापे गए, लेकिन बड़ी मछली हर बार या तो सत्ता की वजह से बच गयी या फिर अपने रसूख की वजह से उन पर कोई आंच नहीं आई. विधानसभा भर्ती मामले में भी आरएसएस से लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के नाम आ रहे हैं. न्ज्ञैैैब् पेपर लीक मामले में भी कुछ सफेदपोशों तक भी जांच की आंच पहुंच सकती है.