दस प्रतिशत आरक्षण का फायदा किसको मिलेगा ? जो 61 हजार रू प्रतिमाह से कम कमाता है
सरकारी नौकरियों और एडमिशन में 10 प्रतिशत आरक्षण वाला बिल कानून बन चुका है और अब यह भाजपा शासित प्रदेशों में लागू होने लगा है. लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए बने इस कानून पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
भारतीय लोकतंत्र का नाम बदलकर आरक्षण तंत्र कर देना चाहिए
दिल्ली । आर्थिक रूप से कमजोर तबके को 10 प्रतिशत रिजर्वेशन के फैसले का कितना फायदा होगा? क्या है आरक्षण की मूल भावना? कौन है आरक्षण का असल हकदार? ऐसे सवालों को लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र क्या सोचते हैं? ये जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के मुखर्जी नगर के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से यूपीएससी अभ्यर्थी हेमंत वर्मा ने बताया कि ये एक राजनीतिक कदम है. संविधान के हिसाब से आरक्षण एक सामाजिक मुद्दा है. आर्थिक आधार पर आरक्षण देकर सवर्ण वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की गई है. तीन राज्यों में चुनाव हारने के बाद भाजपा सवर्ण वोट बैंक को साधना चाहती है. सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए कुछ और भी कर सकती थी.
क्या 10ः आरक्षण से फायदा होगा? इस सवाल पर एक यूपीएससी अभ्यर्थी ने कहा आरक्षण देने की बजाय सरकार को प्राथमिक शिक्षा में सुधार करना चाहिए. जिन्होंने संविधान बनाया था उन्होंने आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया था. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जाएगा और आखिरी फैसला वहीं होगा.
आरक्षण का पैमाना 5 एकड़ से कम जमीन, सालाना आय 8 लाख से कम
एक यूपीएससी अभ्यर्थी ने कहा इस पैमाने के तहत तो 90-95ः लोग आ जाते हैं. तो इसका मतलब है कि जो 8 लाख सालाना या 61,000 प्रति माह से कम कमाता है, वो आर्थिक तौर पर कमजोर है. लेकिन अगर हम टैक्स बेस को देखें तो जो 2.5 लाख सालाना कमाता है, उसे टैक्स देना पड़ता है. ये बहुत अटपटा है.
क्या इस नए आरक्षण से जातिगत आरक्षण को होगा नुकसान? यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र ने कहा आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को आरक्षण से जातिगत आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा. मेरे हिसाब से भारतीय लोकतंत्र का नाम बदलकर आरक्षण तंत्र कर देना चाहिए यूपीएससी अभ्यर्थी के मुताबिक इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की मांग को ठुकरा चुका है. परंतु इस सरकार ने संविधान संशोधन लाया है. इसलिए मुझे लगता है, कोर्ट इसे वैलिड करार देगा. मुझे ऐसा नहीं लगता कि आरक्षण का फायदा उन लोगों को मिला है, जिनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. ये फैसला 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लिया गया है, इसे राजनीतिक फायदा मिलेगा.2 करोड़ जॉब्स हर साल देने का वादा किया था अभी जो सीएमएमआई की रिपोर्ट जनवरी में आई है. उसके हिसाब से 1 करोड़ 10 लाख नौकरियां कम हुईं है और अगर भर्तियों की बात की जाए तो यूपी में चपरासी की 62 वेकेंसी निकली थी. उसमें 93 हजार लोगों ने अप्लाई किया था, जिसमें 5,400 पीएसडी अगर वहां 10 प्रतिशत किसी एक कास्ट को मिल जाता तो 62 को तो नौकरी मिलती ना बाकी लोगों का क्या होता? ये सोचने वाली बात है. उसके बाद 2017 में डभ्एमयू में चपरासी की नौकरी निकली थी , 92 वैकेंसी थी उसके लिए 19 हजार लोगों ने अप्लाई किया था । राजनैतिक नेता केवल जनता को मूर्ख बनाकर वोट बैंक की राजनीति करते आए है लेकिन अब एकसा नहीं होगा ।