क्यों है यशपाल सीट बदलने के लिए मजबूर ? बाजपूर विधान सभा में पकड़ कमजोर होते दिख रही है
बाजपुर । जब से यशपाल आर्य भाजपा से काग्रेस का दामन थामा तबभी से क्षेत्र की जनता खार खाये हुए है। इसी लिए उन्होनें यशपाल आर्य के काफिले पर तीन दिन पहले बाजपुर में जो जानलेवा हमला किया, उससे संदेश गया कि यशपाल को लेकर बाजपुर में माहौल ठीक नहीं है. अब यशपाल के सीट बदलने की चर्चाओं ने और ज़ोर पकड़ा है. आर्य कहां से चुनाव लड़ेंगे, इसका जवाब इतना आसान नहीं है क्योंकि एक तरफ आर्य की रणनीति और उम्मीदें रहीं, लेकिन धरातल पर समीकरण काफी बदल गए. हरीश रावतके साथ काफी दिख रहे आर्य क्या इस बार अपनी पुरानी सीट से दावेदारी बचा पाएंगे?
बीजेपी छोड़ दोबारा कांग्रेस का दामन थाम चुके यशपाल आर्य को लेकर एक बार फिर कयासों का बाज़ार गर्म है. चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर यशपाल आर्य किस सीट से चुनाव लड़ेंगे? बाजपुर सीट से पिछला चुनाव जीते आर्य इन दिनों कांग्रेस के हर बड़े प्रोग्राम में अपने समर्थकों से घिरे दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत के साये की तरह चल रहे आर्य अपनी सक्रियता से ज्यादा चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा में हैं. सवाल है कि क्या यशपाल अपनी पुरानी सीट बाजपुर से 2022 में चुनावी मैदान में होंगे या कहीं और से? ये सवाल पेचीदा होता जा रहा है, हालांकि आर्य अपनी सीट न छोड़ने की बात कह रहे हैं.
बीते शनिवार को यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य के काफिले पर हुए घातक हमले के बाद से आर्य की सीट को लेकर भी अटकलें तेज़ हो गई हैं. यशपाल आर्य ने कहा कि बाजपुर मेरी कर्मभूमि है। हालांकि उनके करीबी सूत्र बता रहे हैं कि वह किसी दूसरी सीट की तलाश में हैं, जिसके लिए लगातार अपने करीबियों से विचार-मंथन भी कर रहे हैं. अब उनकी नयी सीट कौन सी होगी? इस पर अभी सस्पेंस है. सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के सबसे बड़े दलित नेता होने के नाते यशपाल की निगाह किसी रिज़र्व सीट पर है
दरअसल पिछले एक साल के दौरान कृषि कानून के विरोध में हुए किसान आंदोलन से कुछ सीटों पर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी है. आंदोलनकारी किसानों की बीजेपी से नाराज़गी रही है. किसान आंदोलन जब चला, उस दौरान आर्य राज्य की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन आंदोलन के दौरान ही आर्य बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद छोड़कर कांग्रेस में चले गए. चर्चा है कि आर्य बाजपुर सीट को सुरक्षित करने के लिए ही बीजेपी छोड़ गए, जहां से वो लगातार दो बार विधायक के हैं.
यशपाल को उम्मीद थी कि कांग्रेस में वापसी के बाद बाजपुर में किसानों की नाराज़गी उनसे दूर होगी, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है. बताया जाता है कि यशपाल के बीजेपी सरकार में मंत्री रहने के दौरान किसान नेता जगतार सिंह बाजवा की पत्नी सुनीता टम्टा बाजवा ने बाजपुर में, खासकर किसान वर्ग के बीच मज़बूत पकड़ बना ली है. इसलिए कांग्रेस के लिए सुनीटा को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है.