आखिर वीपीएल कार्डो की जांच क्यों नहीं हो रही है ?

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बागेश्वर । प्रदेश में वीपीएल राशन कार्डो व उनके धाराकों की हैसियत क्या है । इसका खुलासा होना चाहिए किस आधार पर मानकों को ताक में रखकर गरीबों का मजाक बनाया जा रहा है, जो गरीब लोग वीपीएल मानकों को पूर्ण करते है उन्हें ग्राम प्रधान व सरकारी महकमा दरकिनार कर देते है क्योंकि वह गरीब परिवार है उनकी कौन सुनता है उनकी तो नेता व अधिकारी तक पहुंच नहीं है तो कैसे बन जायेगा वीपीएल कार्ड ?जो लोग नेता ,पैसा व पहुंच रखते है वे ही वीपीएल कार्डधारक है। पूरे परिवार के सदस्यों यानि कि तीन लड़के है तो तीनों के वीपीएल कार्ड है। ग्राम प्रधान तो अंधा है ही अधिकारी भी उसके साथ अंधे बन बैठे है।सरकारी नौकरी मिल जाने के बाद वह अपने आप को बादशाह समझ बैठते है। जिस थाली में खाते है उसी में छेद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है।
अगर वीपीएल धारकों की एक बार प्रदेश स्तर पर उच्चस्तरीय जांच कमेटी बन जाय तो सभी हलकान हो जायेगें ं वीपीएल मानकों को पूरा करने वाले परिवारों की संख्या बहुत ही कम स्तर पर होगें ।वर्तमान में वीपीएल कार्डधारक एसी कारों में घूम रहे है, करोड़ों की अचल संपत्ति है। फिर भी कहते है कि हम गरीब है। सिर्फ सरकारी नौकरी पाने वाला वीपीएल नहीं होता वांकि सब गरीबी रेखा से नीचे यापन कर रहे है। लेकिन इस जांच कमेटी में मीडिया को भी शामिल किया अतिआवश्यक है लेकिन ऐसा होगा नहीं हर वीपीएल कार्ड धारक ग्राम प्रधान व पार्टी नेताओं के लोग है जांच नहीं हो सकती है हो सकता है इसमें कुछ छुटभैये नेता भी हो ।

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