नहीं थम रहा बेरोजगार युवाओं का आक्रोश युवाओं का गुस्सा बनेगा सीएम धामी के लिए मुसीबत ,आखिर सरकार सीबीआई की जांच के विरूद्व क्यों है

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भर्ती परीक्षाओं में धांधली के आंदोलन में अपनी राजनीति चमकाने के लिए कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी के नेता भी पहुंचे लेकिन उनकी रोटियां नहीं सिंक पायी। युवाओं ने न तो अपने आंदोलन का नेतृत्व किसी को दिया न ही किसी से गुहार लगायी। उनका कहना था कि अगर युवा शक्ति एकजुट है तो सरकार को झुकना होगा।

देहरादून। भर्ती परीक्षार्थियों में धांधली की सीबीआई जांच की मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर राजधानी में आक्रोशित युवाओं का हुजुम आज सड़कों पर उतर आया। इन युवाओं का आंदोलन बीते रोज शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था लेकिन रात के समय पुलिस की आक्रामक कार्रवाई से मामला सुर्खियों में आ गया। पुलिस जिस तरह से आंदोलनकारियों को घसीट ले गयी उसका परिणाम पथराव और लाठीचार्ज के रूप में सामने आया।
इस तरह से हजारों की संख्या में युवाओं के आंदोलन में शामिल होने की पुलिस-प्रशासन को उम्मीद भी नहीं थी लेकिन इस भीड़ को देखते हुए प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गये। इस दौरान गुस्साये आंदोलनकारियों ने पुलिस पर जम कर पथराव किया तो वहीं पुलिस ने भी इन लोगों पर लाठीचार्ज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
छात्रों की क्या मांग?
उत्तराखंड में हुई भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर युवाओं में काफी समय से रोष पनप रहा था। बेरोजगार संगठन ने भर्तियों में हुई धांधली की सीबीआई जांच सहित अन्य मांगों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष भी रखी थीं। युवाओं की मांग है कि जिन अभ्यर्थियों ने पैसे दे कर पेपर खरीदे और पेपर दिए उन्हें इस परीक्षा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को इन परीक्षाओं को निरस्त कर देना चाहिए। जब तक धांधली की सीबीआई जांच नहीं होती तब तक परीक्षाएं न करायी जाएं। वहीं बुधवार के देर रात आंदोलनकारियों को जबरन उठाने आये पुलिसकर्मियों के नशे में होने का आरोप भी युवाओं ने लगाया है। आंदोलनाकारियों ने उन पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड करने की मांग उठायी है।
इस उग्र आंदोलन के बाद भी अगर सरकार इन बेरोजगारों की मांग नहीं मानती है तो इनकी संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है। आज इतने लोग सड़कों पर थे तो संभवतः कल इनकी संख्या तिगुनी और चौगुनी भी हो सकती है। जो धामी सरकार के लिए सरदर्द भी बन सकती है। राज्य में भर्ती परीक्षाओं में धांधली एक के बाद एक खुलती जा रही है जिसको लेकर युवाओं में आक्रोश है। यदि यह आक्रोश इसी तरह से बना रहा था युवाओं का आंदोलन सरकार के गले की फांस बन जाएगा। पिछले दिनों हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा नेता के पुत्र के शामिल होने, एक के बाद एक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने, जोशीमठ भूधंसाव के कारण विस्थापितों को मुआवजा को लेकर आंदोलन आदि प्रकरणों के कारण वैसे भी सरकार की किरकिरी हो रही है।
इस आंदोलन में अपनी राजनीति चमकाने के लिए कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी के नेता भी पहुंचे लेकिन उनकी रोटियां नहीं सिंक पायी। युवाओं ने न तो अपने आंदोलन का नेतृत्व किसी को दिया न ही किसी से गुहार लगायी। उनका कहना था कि अगर युवा शक्ति एकजुट है तो सरकार को झुकना होगा।
आंदोलन में बैठे युवाओं का कहना था कि वे लोग शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे थे तब पुलिस ने उनके साथ बर्बर कार्रवाई की। उनके साथ में महिला अभ्यर्थी भी धरने पर बैठी हुई थी लेकिन जब पुलिस उनको उठाने के लिए आई तो उनके साथ महिला पुलिसकर्मी नहीं थीं। पुरूष पुलिसकर्मियों ने ही महिलाओं को भी वहां से हटाया। जो कि नियमविरूद्ध है। बेरोजगार संगठन के अध्यक्ष बॉबी पंवार को भी पुलिस मारते हुए जबरन वहां से उठा कर ले गयी। जिससे आज युवा भड़क गये।

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