आप पार्टी के कार्यक्रम में ध्याड़ी पर ले गये श्रमिकों को न ध्याड़ी ही मिली न खाना ,भड़के श्रमिक
आप पार्टी के नेता कितने बेमान है। उनका असली चेहरा अजय कोठियाल के कार्यक्रम में आया । अपने आप को सीएम कहने वाले कोठियाल के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए ध्याड़ी पर मजदूर ले गये जब कार्यक्रम समाप्त हो गया तब उन्हें 400 रूपये प्रति मजदूर ध्याड़ी नहीं मिली जिसे मजदूर गुस्सायें, आप पार्टी के खिलाफ नारे लगाने लगें ं तभी लोगों को पता चला आप पार्टी कितने ईमानदार नेता है।
रूद्रपुर । कार्यक्रम में लगभग 55 श्रमिकों को नारा लगाने के लिए इस बात पर ले आए कि उन्हें 400 रुपये और खाना मिलेगा। श्रमिक कार्यक्रम में पहुंच गए। कार्यक्रम के बाद श्रमिकों का भुगतान करने वाला भी पतली गली से निकल लिया । ऐसे में श्रमिकों ने कार्यक्रम स्थल पर आप पार्टी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
आप पार्टी के नेता राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए गरीबों के पेट पर लात मारने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार के कार्यक्रम के दौरान भीड़ जुटाने की होड़ रही। इसी के चक्कर में लेबर चौक से पैसे पर मजदूरों को बरगलाकर कार्यक्रम में लाया गया। इसके बाद तय की गई दिहाड़ी का भुगतान न करने पर श्रमिक मायूस होकर सड़क पर बैठ गए। श्रमिकों ने आप का विरोध जताया और श्रम कार्यालय में शिकायत करने की बात कही।
बुधवार को रुद्रपुर के कंचनतारा होटल में आम आदमी पार्टी की सदस्यता कार्यक्रम था। अपने आप को सीमए कहने वाले अजय कोठियाल कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। कार्यकर्ताओं ने अपना रुतबा दिखाने के लिए भीड़ जुटाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। एक पदाधिकारी ने भीड़ इकठ्ठा करने के लिए लेबर चौक पहुंच गए। वहां से करीब 50 श्रमिकों को नारा लगाने के लिए इस बात पर ले आए कि उन्हें 400 रुपये और खाना मिलेगा। श्रमिक अपनी दिहाड़ी वहां से छोड़कर कार्यक्रम में पहुंच गए। जैसे ही कोठियाल निकले कार्यक्रम धीरे धीरे समाप्त हो गया। लेकिन श्रमिकों का भुगतान करने वाला भी लापता हो गया। ऐसे में श्रमिकों ने कार्यक्रम स्थल पर जोरदार प्रदर्शन किया।
मजदूरों ने बताया अपना दुखड़ा
घर में बड़ा परिवार है। देहाड़ी करके घर का खर्च चलाता हूं। बुधवार को सुबह लेबर चौक पर काम के इंतजार में बैठा था, एक ठेकेदार आए और आप पार्टी के कार्यक्रम में चलने को कहा और खाना चार सौ रुपये देने की बात कही। कार्यक्रम खत्म होने पर न तो खाना मिला न ही पैसे। ऐसे में एक दिन की दिहाड़ी चली गई। – पंकज, शिवनगर
परिवार में बच्चे, मां-बाप हैं। कमाने वाले अकेले। लेकर का काम कर पेट पालते हैं। राजनेताओं के चक्कर में एक दिन की दिहाड़ी चली गई। भूखा उपर से रह गया। पूरा दिन बर्बाद गया। किसी और के यहां काम करते तो मजदूरी तो शाम को मिल जाती। पार्टी में भीड़ बढ़ाने के लिए लोगों के पेट पर लात मारने का काम किया है। – कन्हैया लाल, रम्पुरा
हम लोग रोज कमाने और खाने वाले हैं। चार सौ रुपये देने की बात सुनकर करीब 50 मजदूर यहां कार्यक्रम में पहुंच गए। पूरे दिन नारेबाजी किया। काम किया। बदले में जो तय था रुपये नहीं मिले। जिस व्यक्ति ने लाया था वह थोड़ी देर में आने की बात कहकर निकल गया। गरीबों की कौन सुनता है। किससे हम दिहाड़ी मांगेेेे।
नेता लोग सिर्फ अपने जुगाड़ में होते हैं। जनता के दम पर चुनाव लड़ते हैं और हमे ही बेवकूफ बनाते हैं। श्रमिक हैं हम, काम के बाद पैसा चाहिए तब परिवार चलता है। काम तो करा लिया, लेकिन भुगतान के समय नदारद रहे। चार सौ रुपये उनके लिए कुछ नहीं होगा हमारे लिए दो दिन का खाना चलता है। – हरीश, रम्पुरा